धारा कु पाणी कख Garhwali Poetry written by Rakesh Uniyal

 


#गढ़वळिम_कविता

धारा कु पाणी कख

धारा कु पाणी कख
जब धारूई नी रई
यख अई भुला
यू खाली बोतल उठई।

चौक डीनडयाली
निरई नारंगी की डाली
कुड़ी खंडवार
तेरु गांव छ खाली खाली ।

यख बांदर सुगर
सड़कियो फाड़ा डंगर
तख भीटी औदा सेल्फी बाज
बनौदा मजाक ।

कीक पाड़ पाड़ करदी
जख लंपू छ बुजडू
सब कुछ हरचनु
कख जै खोजनु ।

यख मनखियों कु अकाल
जानबरू की बगवाल
सड़कियो का जाल
बुजुर्ग कना जगवाल ।

जख भबरांदी छै आग
वख मुस्सौ कू राज
जखा थै चांदू निल्ली गौडी
वख उजाड़ छ फैड़ी।

रैण धा ये पहाड़ यन्नी
न बनवा मजाक
तुम सब्बी तख वाला
आवा खोला कुड़ी ताला ।

©® राकेश उनियाल
गांव सकलाना
टेहरी गढ़वाल उत्तराखंड
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— उत्तराखंड की लगूली में धन्य महसूस कर रहे हैं.

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