रीति- रिवाज Gharwali Poetry By Ramchandra Nautiyal


उत्तराखंड की लगूली


रीति- रिवाज
==========
आचार विचार संस्कार,
कुछ नि रै नि ब्यो बरात्यूं म
खाणा कु ढंग न गाणा कु ढंग
नाचणा कु ढंग न
गीत लाणा कु ढंग
हल्दी हाथ माळू पात
मांगल गीत
सब हजम करेलि
अब मेहन्दिन
नौ च मेहन्दि कु
रिश्तेदारि नातदारि
निपटेणि छन दारु मा
ढोल नगारा थाप
छोपति तान्दि रासो पैसारा थडिया
सारंगी ढोल सागर क ताल
अब नि सुणेन्द ब्यो बरात्युं म
नवति का ढोल चैति क बोल
अब नि सुणेन्दा
अब त बजिगि डीजे अर बैण्ड
जै ख्वयेलि ज्वान बुड्यों
नौना नौनि सबु कु मैण्ड
उणेटि कुणेटि बटि
भौण मिलैकि बराति पौणु तैं
मिठि-मिठि गाळि नि सुणेन्दि
ब्यो बरात्युं म
पैलि त ह्यून् कि राति कटि जान्दि थै
ऊन कि ताकुळि कथा बाता व बात बात्युं मा
म्यर ज्वान दगड्यों नौनि नौनों
अपणा रीति रिवाज
संस्कार यन नि छोडा
अपणि पुराणि संस्कृति सि बि नाता जोड़ा
रामचन्द्र नौटियाल
ग्राम जिब्या पट्टी दशगी
जनपद -उत्तरकाशी
उत्तराखण्ड
Ramchandranautiyal123@gmail.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ