""नववर्ष "" #गढ़वळिम_रचना Grhwali Poetry wrote by Utterakhandi Poet Vineeta Maithani

 

उत्तराखंड की लगूलीउत्तराखंड की लगूली में उत्साहित महसूस कर रहे हैं.

फ़ेवरेट 2 घंटे Pauri, उत्तराखण्ड, भारत 
""नववर्ष ""
डाळयुँ-डाळयुंँ मां खिल्यां फूल चौतरफी,
यु मौळ्यार त मेरा ही देश मां ह्वे सकदु।
सभी धाणी मां नै अंग्वरात नै चलक्वार ,
यनु नववर्ष त मेरा ही देश मां ह्वे सकदु।
शुद्धता का प्रतीक जौ,नै नाज़ ग्यूँ बलिड़ी,
खुश ह्वेकी बासदी कफ्फू, घुघती ,हिलांस,
पाखौं मां फ्योली,शकिन, बुरांश चचकार,
धरती कु यु श्रृंगार मेरा ही देश मां ह्वे सकदु।
सभी राज्यों मां झमकदा गीत झूमी झूमी,
जिकुड्युं मां भी सळयीं सी झौळ लगांदी,
खिलपत बगदी बसंती बयार रंगमत सी,
यु प्रेम व्यवहार मेरा ही देश मां ह्वे सकदु।
देळयुंँ सजदा फूल उत्तराखंड का रिवाज,
चारों धाम,देव थान मां होंदी जय जयकार,
माँ दुर्गा शक्ति स्वरूपा का चरण वंदना करी,
शुरुआत नववर्ष मेरा ही देश मां ह्वे सकदु।
विनीता मैठाणी
ऋषिकेश पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

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