· Pauri, India ·
#गढवालिम_गज़ल
गज़ल
***
बड़ा-बड़ा डाळा सब खौळ्यां छन ।
अरे ! अब नै-नै बुझ्या मौळ्यां छन ।।
जिंदगि खुणै यो कन घंघतोळ हुयूं ।
झूट सच द्विया का द्वि जौळ्यां छन ।।
दवै च कि दारु यख हवा पाणि मा ।
मवार मनखि औळ्यां-बौळ्यां छन ।।
बौंळि बिटेणिं जख भयूंम दिनरात ।
घर गौं मा हुयां रौळ्यां-पौळ्यां छन ।।
कठ्ठा रैणा को ढब अब कख रै ग्या ।
चर्यौ का बियां सि सब फौळ्यां छन ।।
बाघ जन दिखेणु जो गौं-गुठ्यार मा ।
नंग चूंडकै वैका दांत निखौळ्यां छन ।।
जन जागर लगैला उनि द्यप्ता नचैला ।
'पयाश' सबि ढौळेरु का ढौळ्या छन ।।
©® पयाश पोखड़ा
पौड़ी गढ़वाळ उत्तराखंड भारत
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गज़ल
***
बड़ा-बड़ा डाळा सब खौळ्यां छन ।
अरे ! अब नै-नै बुझ्या मौळ्यां छन ।।
जिंदगि खुणै यो कन घंघतोळ हुयूं ।
झूट सच द्विया का द्वि जौळ्यां छन ।।
दवै च कि दारु यख हवा पाणि मा ।
मवार मनखि औळ्यां-बौळ्यां छन ।।
बौंळि बिटेणिं जख भयूंम दिनरात ।
घर गौं मा हुयां रौळ्यां-पौळ्यां छन ।।
कठ्ठा रैणा को ढब अब कख रै ग्या ।
चर्यौ का बियां सि सब फौळ्यां छन ।।
बाघ जन दिखेणु जो गौं-गुठ्यार मा ।
नंग चूंडकै वैका दांत निखौळ्यां छन ।।
जन जागर लगैला उनि द्यप्ता नचैला ।
'पयाश' सबि ढौळेरु का ढौळ्या छन ।।
©® पयाश पोखड़ा
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