सबु मा सवाल दे जांदू Grhwali Poetry/Garhwali wrote by Pawan Pahari (Paanthri)

 


सबु मा सवाल दे जांदू
आंदा जांदा सबु मा सवाल दे जांदू ।
बगत जाणा कु एंसु ऋतु निगाल के जांदू ।।
भोल फिर तुमथे दिख्योंलु कि ना ।
भेंट सब्यूं थे अमणि फ़िलहाल के जांदू ।।
क्वी नाराज़ हुयां न मेरा ठठ्ठों कु भारे ।
मि सबुं कू हाथ जोड़ी मलाल के जांदू ।।
सदनी रुड्‌या सर्ग सी भटकणु रौं जख-कखी।
जांदी बेर फूका बसगाल के जांदू ।।
तुम मेरा आणा कु बाटु नि जग्वल्यां अब ।
मि तुम्हारा-मेरा बाटा मा दिवाल के जांदू ।।
भौत कुछ सिखे ग्ये यो जीवन जरा सि मेरु ।
मि जांदी बेर ज़िंदगी जिबाल के जांदू ।।

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