#गढ़वळिम_कविता तेरा अंचला की ओट माँ.!!..Grhwali Poetry/Garhwali wrote by Pawan Pahari (Paanthri)

 


उत्तराखंड की लगूली, उत्तराखंड की लगूली में प्यार में डूबा महसूस कर रहे हैं.

फ़ेवरेट Pauri, उत्तराखण्ड, भारत 
तेरा अंचला की ओट माँ.!!..
सेई ल्योंलू सभी दुःख विपद,
सेई ल्योंलू सभी चोट माँ.!
सारू मात्र चेंद मेकू,
तेरा अंचला की ओट माँ.!!
मेरा सभी कौ कर्यां की,
तू छे देखदार माँ..,
मेरु मन, यो जीवन..
त्वे परे निसार माँ..!
मेरी श्रद्धा भक्ति को रस,
अपड़ा चरणूं ओड़ माँ..!
सारू मात्र चेंद मेकू,
तेरा अंचला की ओट माँ.!!
विद्या बुद्धि भक्ति दे माँ,
रीस-द्वेष हार दे...
अपढ़ो सुभ आशीष माता,
मेकु बार-बार दे..!
अपड़ा हर्यां-थक्यां भक्तुं फर,
तू अंग्वाल बोट मा..!
सारू मात्र चेंद मेकू,
तेरा अंचला की ओट माँ.!!
मनखी मनख्यूं प्रेम हो माँ,
ऐब व्यसनूं कु नाश हो,
दया धर्म हो जिकुड़ा सबका,
स्वच्छ जीवन श्वास हो..!
सत्य, शांति, सुख समृद्धि,
सबगुणूं श्रृष्टि मा घोट मा,
सारू मात्र चेंद मेकू,
तेरा अंचला की ओट माँ.!!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ