नवरात्रों कि शुभ बेला ऐ ग्येनि, Grhwali Poetry/Garhwali wrote by Sarita Dabral Istwal

 


उत्तराखंड की लगूली
उत्तराखंड की लगूली में आभारी महसूस कर रहे हैं.

फ़ेवरेट Pauri, उत्तराखण्ड, भारत 
नवरात्रि के पावन पुनीत अवसर पर :-
🌹नवरात्रों कि शुभ बेला ऐ ग्येनि,
घर-घर तेरी जोत जली ग्येनि,
दूर-दूर बटि मां भक्त तेरा ,
दर्शन कु द्वार पर ऐ ग्येनि।।
भयहारिणी, भव तारिणी छै तु,
दुष्ट संघारिणी, पापमोचनी छै तू ,
आस लेकि शरण जो औंदु ,
रोग - शोक सब हर लेंदी छै तु ।।
शेर सवार हृवैकि जब तू औंदि ,
दुख भक्तों को पल में मिटौंदि ,
काल की क्रूर छाया थैं हे मां ,
पल भर मा तु मार भगौंदी ।
लाल चुन्नी मां त्वैथैं चढ़ांदा,
चूड़ी ,बिंदी, न त्वै सजांदा,
जौ कि हैरयाली घर-घर जमौंदा,
भक्त जय जय कर मनौंदा‌ ।
ढोल दमों लेकि थान पै औंदा ,
नौ दिन ,नौ रात मंडाण लगौंदा ,
जसीली माता जौं जस दे जांदी ,
आंखियू कु आंसू फूंजी जांदी ।
मैं भी तेरो भक्त छौं अजाण ,
महिमा तेरी हे मां बड़ी महान,
दूर कर दे दुख,हर अज्ञान ,
मुंड मा हाथ धरी कर कल्याण।।🌹
स्वरचित एवं अप्रकाशित रचना द्वारा
सरिता डबराल इस्टवाल
प्रताप विहार, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ