*यूँ ही नहीं मिला करती वर्दियाँ *पछ्याँण***Hindi poem written by Sushila Bhadula

 


*यूँ ही नहीं मिला करती वर्दियाँ *

कब आयी जवानी जीवन यात्रा में बनती, बिगडती रही कहानियाँ।
अकेले कटती रही जीवन यात्रा छायी रही वीरानियाँ।
हमारा भी बचपन था,अल्हड़पन था,लडकपन की नही कर पाये नादानियाँ।
वर्दी को तन से लगा लिया, मन में ले ली देश भक्ति की निशानियाँ।
बचपन वहीं खड़ा जहां हम छोड आये थे,अभी भी करता शैतानियाँ।
वो कागज की नाव,कंच्ये, गुल्ली डंडा,छुपाछुपि ढूँढती गाँव की गलियाँ।
राह ताकती है,अभी भी हमारी गाँव की उबड खाबड पगडंडियाँ ।
बुजुर्गों टकटकी निगाहें,और बगीचे की डालियाँ।
अपनी महबूबा से हम कर नहीं पाये प्यारी सी अठखेलियाँ।
माँ भारती की गोद में करते रहे ठिठोलियाँ।
वक्त, वेवक्त तड़पते तरसते रहते हैं, रद्द होती रही छुट्टियाँ।
झूठी दिलासा देते रहे घर परिवार में बिखर गयी, रिश्तेदारियाँ।
जिन्दगी पल पल कटती रही,दर दर खटती रही और हमें कर गयी सवालिया।
हम सोचते,समझते रहे,हल नही कर पाये प्रश्नावलियाँ
डटे हुए हैं,सीमाओं पर हम उत्तर हो या पूर्वोत्तर की घाटियाँ।
उगलती गर्मी हो रेगिस्तान की या हो उत्तराखंड की वादियाँ।
खून,पसीना, बचपन, जवानी और भावनाओं की देनी पड़ती है,कुरबानियाँ।
राष्ट्रसेवा में समर्पित होकर ही मिलती है "सुशील" ये वर्दियाँ।

©✍️ सुशील भदूला (गौरव सैनानी)
सुशील भदूला "जैकोट "
गाँव जयकोट पोस्ट घिरोली पोखड़ा
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड भारत

#सुशील_भदूला #पथिक #पौड़ी_गढ़वाल #टेहरिगढ़वाल #कुमांऊ #uklaguli #posts #poet #kumaoni #worlpoetry #indian #Poetry #अल्मोड़ा #india #gharwalipoems #video #poems #Ghrwali #gharwali #घिरोली_पोखड़ा #जयकोट #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand #देहरादून #अल्मोड़ा 
See less
— in India

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ