फूल और कांटा Hindi poem Wrote By utterkhandi Poet Dayal Chandra Kanela Raunaki

 


#हिंदी_कविता
---------- फूल और कांटा ----------
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फ़ूल कहते हैं कांटों से ,
रूठों ना छोटी बातों से ।

मन में जरा मुस्कान लाओ ,
सुख दुःख में हंसते जाओ ।

सिर पर जब जब बोझ बड़े ,
तब तब तुम काटने दौड़े ।

ज़िन्दगी में अगर जीना है ,
तो खुद को जहर पीना है ।

तुम भाई चारा अपना लो ,
सबको गले से लगा लो ।

देख कर उस हिमालय को ,
तरस आती मेघालय को ।

ना किसी ने बनाया इनको ,
ना किसी ने उसको पाला है ।

सीमा तट पर भारत वर्ष का ,
देखो बन बैठा रखवाला है ।

दयाल चन्द्र कनेला रौंनकी
ग्राम बिरमदेचौरी कनेला गांव
पोस्टआफिस जैरामबाखल
तहसील चौखुटिया
जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड
पिन - 263656
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#जैरामबाखल 
कम देखें
— उत्तराखंड की लगूली में प्यार में डूबा महसूस कर रहे हैं.

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