#हिन्दी_कविता चुनाव आ रहे हैं Hindi Poetry wrote by Utterakhandi Poet Kavita Kandpal


 उत्तराखंड की लगूली, उत्तराखंड की लगूली में धन्य महसूस कर रहे हैं.

फ़ेवरेट Pauri, उत्तराखण्ड, भारत 
स्वरचित कविता
चुनाव आ रहे हैं
हर तरफ रैलियां और प्रचार हो रहे हैं
क्योंकि अब चुनाव आ रहे हैं
आ रहे सब नेता घर घर
अनेक दलों के एड टीवी पर
शहर से लेकर गांव तक
पोस्टर और बैनर छप रहे हैं
क्योंकि अब चुनाव आ रहे हैं
अब सरकार को भी जनता की याद आएगी
कल तक जो थी भीड़ अब वो जनता जनार्दन कहलाएगी
बड़ी- छोटी पार्टियां अपनी खूबी दूसरों की खामियां गिना‌ रहे हैं
क्योंकि अब चुनाव आ रहे हैं
विकास के नाम पर फिर झूठे सपने दिखाएंगे
शराब पैंसा और कितने प्रलोभन देकर
गरीबों को ललचाएंगे
हर गांव हर शहर में नेता हाथ जोड़कर वोट मांग रहे हैं
क्योंकि अब चुनाव आ रहे हैं
कहां गए अच्छे दिन , कहां हुआ विकास है
कहां गयी अच्छी शिक्षा और कहां रोजगार है
न आए अच्छे दिन, युवा बैठा बेरोजगार हैं
न आया राम राज्य बस महंगाई की भरमार है
न जाने कितने सवाल मन में उमड़ रहे हैं
क्योंकि अब चुनाव आ रहे हैं
कोई मुफ्त बिजली मुफ्त पानी मुफ्त यातायात देकर
जनता को आलसी बना रहे हैं
और राहुल जी ना जाने क्यों पार्टी चला रहे हैं
आजकल सब नेता अपने‌ काम गिना रहे हैं
क्योंकि अब चुनाव आ रहे हैं
बनते ही सरकार पार्टियां जनता को भूल जाते हैं
जनता सहती‌ महंगाई , युवा फिर बेरोजगार रह जाते हैं
करती हुं एक विनती सब से कि बहकावे में न आएं
प्रलोभन में आकर नहीं, सोच विचार कर मतदान करें।
Kavita Kandpal
‌कविता काण्डपाल
मानिला
गांव सिनौडा तहसील भिक्यासैन उत्तराखंड
वर्तमान निवासी राम पार्क उत्तर प्रदेश भारत

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