जय अम्बे जगदम्बे मां Kumaoni composition wrote by Utterakhandi Poet Bhuvan Bisht

 


उत्तराखंड की लगूली, उत्तराखंड की लगूली में धन्य महसूस कर रहे हैं.

फ़ेवरेट Pauri, उत्तराखण्ड, भारत 
नवरात्र विशेष-
रचना - जय अम्बे जगदम्बे मां
जय अम्बे जय जगदम्बे मां, जय दुर्गे मातु भवानी।
शक्ति स्वरूपा बुद्धिदाती,जय जगत मां कल्याणी।।
करूं वंदन नमन सदा, मां भर दो ज्ञान का भंडार।
आये हम हैं शरण तुम्हारी, मां करते सब जयकार।।
मइया तुम हो बड़ी महान, मिटा दो मन का सब अज्ञान।
रोग दोष सब दूर करो मां, बने भारत भूमि धन्य-धान।।
नौ रूप तेरे माता नौ अवतार,आयी होकर शेर सवार।
चुनरी नारियल भेंट चढ़ाते, सजा है माता का दरबार।।
वैष्णवी रूपा सिंह सवारी,कर्म की देना हे मां शक्ति।
होऊं न विचलित संघर्षो से,करूं मां सेवा तेरी भक्ति।।
साहस का मिले वरदान,माता करना सदा उपकार।
रज तेरे चरणों की बनूं मां,पावन मां के नौ अवतार।
मां राह मेरी आलोकित करना,तुम हो बड़ी वरदानी।
जय अम्बे जय जगदम्बे मां, जय दुर्गे मातु भवानी।

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