#गढ़़वाळिम_कविता
उत्तराखंड की लगूली
गढवाळिम-कविता ,
" किलै बिसरी ग्याइ "
--------------------------
लठ्याळा मनखि तु यनु निर्दय किलै ह्वाई।
पुरखौंकि सैंति- पाळीं सै -संग्वाठ,किलै बिसरी ग्याइ ।।
चौक डंड्याळि,कुड़ै पठाळि ,सजिलि तिबार खुला द्वार- म्वार ।
दुधकि दुधेंडि बखळि तरेंडि ,गुंदक्याळु दही,कंकर्याळु घ्यु ।
सब्बि हर्चि ग्याई,
लठ्याळा मनखि तु यनु.......।।
ग्यों -जौ कि सार, लवौण कि ब्हार,
खेति किसाणि,नाजर पाणि,
मोळकि मोळार्त ,कोदकि गोडार्त,
नाजकि लवोणि,साठ्योंकि मंड्वार्त,
कुझणि कख ग्याई।
लठ्याळा मनखि तु,........।।
चूड़ा -बुखणौंकु कखि पिट्ठु -कुटणकु,
इकरौण्या धाण,दुकरैक जाण,
स्वांळा पकोड़ा अर् तैका कि तैखाण,
भड्डुकि दाळ,दाळ कि छौंकाण,
अब कखि नि रै ग्याई ।
लठ्याळा मनखि तु यनु... ।।
चौमासै बरखा,उछि भितर सरका,
बरखैकि झमणाट,पठाळ्योंकु खमणाट,
सौंण करेड़ि,खुदेंदि -जिकूड़ि,
गाड़-गदेरा, धारा -पंदेरा,
जाणि कख अलोप ह्वाई ।
लठ्याळा मनखि तु यनु,....।।
जेठकि -रूड़ी, घाम- द्वफेरि ,
गोरुकि घंडूलि,छोरुकि मुरुली,
वौणपंछि - सारा, बासदा नुन्यारा,
जना सऽब हर्चि ग्याई।
लठ्याळा मनखि,........।।
"इति"
रचना - भगत राम बिजल्वाण 'भगत'
रा. उ.मा. वि. राजीवग्राम (ढ़ालवाला)
टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड) ।
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उत्तराखंड की लगूली
गढवाळिम-कविता ,
" किलै बिसरी ग्याइ "
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लठ्याळा मनखि तु यनु निर्दय किलै ह्वाई।
पुरखौंकि सैंति- पाळीं सै -संग्वाठ,किलै बिसरी ग्याइ ।।
चौक डंड्याळि,कुड़ै पठाळि ,सजिलि तिबार खुला द्वार- म्वार ।
दुधकि दुधेंडि बखळि तरेंडि ,गुंदक्याळु दही,कंकर्याळु घ्यु ।
सब्बि हर्चि ग्याई,
लठ्याळा मनखि तु यनु.......।।
ग्यों -जौ कि सार, लवौण कि ब्हार,
खेति किसाणि,नाजर पाणि,
मोळकि मोळार्त ,कोदकि गोडार्त,
नाजकि लवोणि,साठ्योंकि मंड्वार्त,
कुझणि कख ग्याई।
लठ्याळा मनखि तु,........।।
चूड़ा -बुखणौंकु कखि पिट्ठु -कुटणकु,
इकरौण्या धाण,दुकरैक जाण,
स्वांळा पकोड़ा अर् तैका कि तैखाण,
भड्डुकि दाळ,दाळ कि छौंकाण,
अब कखि नि रै ग्याई ।
लठ्याळा मनखि तु यनु... ।।
चौमासै बरखा,उछि भितर सरका,
बरखैकि झमणाट,पठाळ्योंकु खमणाट,
सौंण करेड़ि,खुदेंदि -जिकूड़ि,
गाड़-गदेरा, धारा -पंदेरा,
जाणि कख अलोप ह्वाई ।
लठ्याळा मनखि तु यनु,....।।
जेठकि -रूड़ी, घाम- द्वफेरि ,
गोरुकि घंडूलि,छोरुकि मुरुली,
वौणपंछि - सारा, बासदा नुन्यारा,
जना सऽब हर्चि ग्याई।
लठ्याळा मनखि,........।।
"इति"
रचना - भगत राम बिजल्वाण 'भगत'
रा. उ.मा. वि. राजीवग्राम (ढ़ालवाला)
टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड) ।
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— feeling thankful at उत्तराखंड की लगूली.
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