जल छाया ऊपरी हवा गढ़वाल ***Wrote By Gharwali Poet Anup Singh,

 


त्तराखंड की लगूली

#गढ़वळिम_कविता
🇳🇪जल छाया ऊपरी हवा गढ़वाल 🇳🇪

हिला हिला बिस्मिल्लाह,
बिस्मिल्लाह खान को सलाम
वालेकुम सलाम
तख्तानी पीर को सलाम
दिल्ली के तहत पर चलने वाले पीर को सलाम
184 जवान को सलाम तू बूढ़ा बामणी
मक्का मदीना को सलाम
घोड़े के सवारी करने वाले पीरों को सलाम
मुजफ्फरनगर पैदल चलने वाली पीरों को सलाम
कॉल की पक्की जुमन के सच्चे इनाम के पक्के
अपने भक्तों पर रहम कर जाना
मेरे परवरदिगा
चोरी की नोक्षी बख्शी जाना
घोड़े के दोनों से रहम कर जाना
गंगा पीर को सलाम
लंगड़े पीर को सलाम
कालू मियां सॉलूमिया को सलाम
कुरान के पढ़ने पीरों को सलाम
पान मदिरा खानपान वाले पीरों को सलाम
जलपरी को सलामी
थल परी को सलाम
पंचमेवा पांच मिठाई
फूलों की खुशबू से रहम कर जाना
ला इलाहा इल्लल्लाह बिस्मिल्लाह

कविता के लेखक :-
अनूप सिंह

पट्टी वाली कण्डारस्यूँ पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
मोबाइल :- 8558964282
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