बालकृष्ण डी. ध्यानी ने प्रकाशित किया
· 1 घंटे · Pauri, उत्तराखण्ड, भारत ·

#गढवालिम_गजल
अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग ।
~गढ़वाली गजल
अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग ।
हैंकों की छ्वीं मा छ्वीं मिसंदीं लोग ।।
बौड़ी नी अयेंदू उज्यलों मा जख बटी ।
ऐड़ि - कैकी वो बाटु दिखंदीं लोग ।।
हैंसी बोलि ल्यूं, घड़ेका कु जो कै दगड़ ।
छोकरेड़ अर उलरया मैं बतंदीं लोग ।।
कैकी हाँ मा हाँ अगर मिलै नि सकुल ।
अण्बोल्या जिदेर तब चितंदी लोग ।।
भल अदमै त रयीं बरै नाम कु अब ।
फुंडु फुंडें कु थामि हथ लिजंदीं लोग ।।
जब तलक काम ऐ सकी “पावन”।
तब तलक ही नाता छट्यंदीं लोग ।।
~पवन पहाड़ी (पाँथरी)

91 88601 34216
ग्राम : ढंगसोली, पौड़ी
उत्तरखंड भारत
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अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग ।
~गढ़वाली गजल

अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग ।
हैंकों की छ्वीं मा छ्वीं मिसंदीं लोग ।।
बौड़ी नी अयेंदू उज्यलों मा जख बटी ।
ऐड़ि - कैकी वो बाटु दिखंदीं लोग ।।
हैंसी बोलि ल्यूं, घड़ेका कु जो कै दगड़ ।
छोकरेड़ अर उलरया मैं बतंदीं लोग ।।
कैकी हाँ मा हाँ अगर मिलै नि सकुल ।
अण्बोल्या जिदेर तब चितंदी लोग ।।
भल अदमै त रयीं बरै नाम कु अब ।
फुंडु फुंडें कु थामि हथ लिजंदीं लोग ।।
जब तलक काम ऐ सकी “पावन”।
तब तलक ही नाता छट्यंदीं लोग ।।
~पवन पहाड़ी (पाँथरी)


91 88601 34216
ग्राम : ढंगसोली, पौड़ी
उत्तरखंड भारत
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कम देखें
— उत्तराखंड की लगूली में धन्य महसूस कर रहे हैं.
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