अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग । Wrote By Gharwali Poet Pawan Pahari (Paanthari)

 


#गढवालिम_गजल
अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग ।
~गढ़वाली गजल✍🏻

अपड़ू भेद अफ म ही लुकंदीं लोग ।
हैंकों की छ्वीं मा छ्वीं मिसंदीं लोग ।।

बौड़ी नी अयेंदू उज्यलों मा जख बटी ।
ऐड़ि - कैकी वो बाटु दिखंदीं लोग ।।

हैंसी बोलि ल्यूं, घड़ेका कु जो कै दगड़ ।
छोकरेड़ अर उलरया मैं बतंदीं लोग ।।

कैकी हाँ मा हाँ अगर मिलै नि सकुल ।
अण्बोल्या जिदेर तब चितंदी लोग ।।

भल अदमै त रयीं बरै नाम कु अब ।
फुंडु फुंडें कु थामि हथ लिजंदीं लोग ।।

जब तलक काम ऐ सकी “पावन”।
तब तलक ही नाता छट्यंदीं लोग ।।

~पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳
91 88601 34216
ग्राम : ढंगसोली, पौड़ी
उत्तरखंड भारत
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