बसंत ऋतु Wrote By Gharwali Poet Praveen Singh Bisht

 


#गढवालिम_कविता

बसंत ऋतु

हिंयूद बितिगें,बसंत लैगे
बरखा, पणधारी बरखण लैगे
डाली- बूटियों मा मौल्यार ऐगे
स्वाणी बसंत ऋतु लैगे।

मां सरस्वती की पूजा करुला
बोंण मुलक राजी-खुशी रैला
चहुं दिशु मा बसंत ऐगै
स्वाणी बसंत ऋतु लैगे।

बीठा पाखियो मा फ्यूंली खिलिगै
ऊंची डांडियों मा बुरांश खिलिगै
फूलों मा फुलार ऐगे
डालियों मा मौल्यार छैगे।

घुघुती,पोथली बाषण लैगे
हिंवाला कांठा चमकैण लैगे
बाड़ी कमौणी की शुरुआत ह्वेगे
जिकुड़ी मा उल्लार बसंत लैगे।

गेहूं का पुंगडियों मा घर्रया फूलिगे
आडू ,गुरियाल फूलण लैगे
धरती अपणी ज्वानी मा ऐगे
स्वाणी बसंत रितु लैगे।

गरीब गुरुवा का दिन बॉडी ऐगे
पुंगडियों मा कांडा केड़ा काटेण लैगे
ध्याणी अपणा सैसरा जाण लैगे
स्वाणी बसंत ऋतु लैगे।
रचना:-
प्रवीण सिंह बिष्ट
बरसाली, डुंडा
उत्तरकाशी उत्तराखंड।
9627050187.
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