#गढ़वळिम _गजल
वे गौं मा
प्रीत की नाज बाड़ी उगोंला वे गौं मा ।
प्रेम कु छुटु सी झोपडु बणोंला वे गौं मा ।।
हमारा सुपन्या उपजी की फूलला फलला ।
अपड़ा सुप्न्यौं थे पढोंला बढ़ोंला वे गौं मा ।।
रुपया पैसों की भाग दौड़ से दूर दूर ।
जरसी कमौंला, पौदाश के खौंला वे गौं मा ।।
तेरी माया कु सारू मैकू साक्यूं की कमै च ।
अपड़ी करीं कमै लगौंला वे गौं मा ।।
एक हेंका थें मिल ग्यों ये ही जलम मा ।
और क्वी आस-अरज नि गठ्योंला वे गौं मा ।।
द्वी चार सौंगिया सखीण भी राला दगड़ कु ।
बाकी , रंगा सियारूं तिरौंला वे गौं मा ।।
क्वी हाक नजर नि लग्यां हमरा सुप्न्यौं फर ।
द्यो द्याप्तों की केर धरोंला वे गौं मा ।।
भौत शौकीन च पुरणा जमना कु “पावन” ।
नया जमना नि आण द्यूंला वे गौं मा ।।
~पवन पहाड़ी (पाँथरी)
91 88601 34216
ग्राम : ढंगसोली, पौड़ी
उत्तरखंड भारत
— उत्तराखंड की लगूली में खुश महसूस कर रहे हैं.
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