उत्तराखंड की लगूली
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समलौण ली जांदी
कभी जिकुड़ी लूछी की ली जांदी,
कभी जिकुड़ी चीरी की ली जांदी।
मज़ाक बोली जमना की हैंसी मां,
आगाश त कभी पताळ ली जांदी।
सै सैज मां छेड़ छाड़ शूल बणिगे ,
मुलमुल वीं हैंसदी माया ली जांदी।
वचन एक ही भौत कुभौड्या चुची,
सभी गुणों की डांडी सजै ली जांदी।
जिकुड़ी किलै होली अनमन भाँति,
नखरी बात किलै बटोळी ली जांदी।
कुछ तुम ह्वेला कुछ हम कमसिल ,
बस मेरु सगोर समलौंण ली जांदी।
माया कु रुळ धरी दे मेरा आखरुं मां,
कौझ्याळ बथुं गंगछाला ली जांदी।
विनीता मैठाणी
ऋषिकेश पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
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