विज्ञानकु
आह्वान - 66
रहे ये ध्यान
धरती पर हम
हैं मेहमान।
भूमि का क्षय
रोका न गया यदि
विनाश तय।
आनंद पायें
प्रकृति को अपना
मित्र बनायें।
समझें सारे
धरती के फेफड़े
वन हमारे।
यही आह्वान
प्रकृति का रक्षक
बने विज्ञान।
- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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