आधुनिक सिंहासन बत्तीसी : भाग - 20 ज्ञानवती
कुछ ही क्षणों में बीसवीं परी प्रकट होते हुए बोली, " नेता जी, मेरा नाम ज्ञानवती है और मैं इस बात को फिर कहना चाहती हूँ कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री सादा जीवन और उच्च विचार रखने वाले व्यक्ति थे। उनका पूरा जीवन सिर्फ नेताओं के लिए नहीं अपितु प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है। ' जय जवान-जय किसान ' का नारा देकर उन्होंने न सिर्फ देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात जवानों का मनोबल बढ़ाया बल्कि खेतों में अनाज पैदा कर देशवासियों का पेट भरने वाले किसानों का आत्मबल भी बढ़ाया।
खैर, मैं आपको उनकी सादगी का एक और किस्सा बताना चाहती हूँ। वे जब प्रधानमंत्री थे तो वे निजी कार्यों के लिए सरकारी गाड़ी इस्तेमाल नही करते थे। अपने इस निर्णय की वजह से उन्हें दिक्कत का सामना करना पडता था। लिहाजा उन्होंने तेरह हजार रुपये में एक फियेट कार खरिदने का फैसला किया । इस फियेट कार के लिए उन्होंने छह हजार रुपये नकद अदा किए और सात हजार रुपये पंजाब नेशनल बैंक से कर्ज लिया। इतना ही नहीं, वे बिस्तर पर खेस बिछा कर सोते थे। उन के घर में सिर्फ दो पलंग और बांस का एक छह सीटर सोफा था। " कुछ क्षणों तक रुकने के बाद ज्ञानवती बोली, " मैंने सुना है आज हमारे नेताओं के पास सिने कलाकारों की तरह एक या दो नहीं, अनेक महंगी गाड़ियां नजर आती हैं। आखिर, शास्त्री जी की सादगी का प्रभाव अल्पकालिक क्यों साबित हुआ ? "
नेता जी बोले, " यह तो जनता के ऊपर है कि वह अपने लिए कैसे नेता चुनती है। इसमें सिर्फ नेताओं को दोष देना उचित नहीं होगा। "
" आपकी बात भी कुछ हद तक ठीक है " कहकर ज्ञानवती यकायक गायब हो गई। नेता जी खुश थे कि सही समय पर उनकी अक्ल काम कर गई। अब उन्हें इक्कीसवीं परी का इंतजार था।
- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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