आधुनिक सिंहासन बत्तीसी
: भाग - 23
धर्मवती
धर्मवती को देखते ही नेता जी अगला प्रसंग सुनने के
लिए उत्सुक नजर आए। उन्हें लग रहा था कि अब वे बापू के साथ - साथ शास्त्री जी के जीवन
से जुड़े इन पहलुओं की चर्चा करके भी श्रोताओं पर अपनी धाक जमा सकेंगे। उनको कुछ सोचते
देख धर्मवती बोली, " सिर्फ मतदाताओं पर धाक ज़माने के लिए नहीं, आपको खुद भी अपने
जीवन को इस महान नेता जैसे बनाना चाहिए ताकि आपको भी भविष्य में लोग वैसे ही याद करें
जैसे वे शास्त्री जी को करते हैं।खैर, आज मैं आपको उनकी सादगी की एक और बात बताने जा
रही हूँ।
एक बार सर्दियों में शास्त्री जी को किसी समारोह में
हिस्सा लेने के लिए वाराणसी गए थे। वहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध छायावादी कवियत्री महादेवी
वर्मा जी से हुई। शास्त्री जी के पैरों में जुराबें न देख उन्होंने शास्त्री जी से
पूछा,' क्या आपको पांवों में ठण्ड नहीं लगती है। ' शास्त्री जी ने जवाब में महादेवी
जी को बताया कि उनके पास दो जोड़े गरम जुराबें हैं लेकिन उनका इस्तेमाल वे तभी करते
हैं जब वे रूस जैसे बर्फीले देशों की यात्रा पर जाते हैं। "
फिर क्षण भर रुकने के बाद धर्मवती ने नेता जी से पूछा,"
क्या आज कोई ऐसा नेता है जो शास्त्री जी जैसा जीवन बिताने में यकीन रखता है ?
" नेता जी कुछ सोचते हुए बोले, " वक़्त और हालात बदल चुके हैं। इसलिए मैं
नहीं समझता कि इधर किसी भी दल में कोई ऐसा नेता होगा जो जुराबें इस्तेमाल करने में
तक किफ़ायत करता होगा। " धर्मवती ' ठीक है ' कहकर जैसे ही अंतर्ध्यान हुई, चौबीसवीं
परी करुणावती नेता जी के सामने प्रकट हो गई।
- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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