आधुनिक सिंहासन बत्तीसी : भाग - 27 मलयवती

 

आधुनिक सिंहासन बत्तीसी : भाग - 27
मलयवती

नेता जी ने बचपन में " सिंहासन बत्तीसी " की कथाएं पढ़ी थी। फलस्वरूप, जैसे ही सत्ताईसवीं परी प्रकट हुई, नेता जी मुस्कराते हुए बोले, " आप मलयवती हैं न ! " परी ने कहा, " आपका कहना सही है। राजा भोज को हम महाप्रतापी राजा विक्रमादित्य की कहानियां सुनाती थी और आपको हम लालों में लाल स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की कथाएं सुना रही हैं। उद्देश्य यही है कि जनता मूर्खताएं करने के बावजूद देश का नेतृत्व करने के लिए उनके जैसे नेता चाहती है। उनकी महानता को समझाने के लिए मैं आज ऐसा ही एक प्रसंग सुनाने जा रही हूँ।
जब 3 जनवरी 1966 के दिन वे पाक राष्ट्रपति जनरल अयूब खान से मुलाकात के लिए ताशकन्द रवाना हुए तो उनके पास वहां की कड़कड़ाती ठण्ड में पहनने के लिए उनका खादी का ऊनी कोट था। तत्कालीन रूस के प्रधानमंत्री कोसीजिन को लगा कि जो कोट शास्त्री पहने हुए हैं, वह मध्य एशिया के उस बर्फीले मौसम के लिए उपयुक्त नहीं है। वह उन्हें एक रूसी ओवरकोट देना चाहते थे किन्तु उधेड़बुन में थे कि यह कार्य कैसे किया जाए। आखिरकार, एक समारोह में यह उम्मीद करते हुए कोसीजिन ने शास्त्री जी को तोहफे के तौर पर एक रूसी कोट भेंट किया ताकि वह ताशकंद में उसे पहनेंगे। अगली सुबह उन्होंने देखा कि शास्त्रीजी अभी भी वही खादी का कोट पहने हुए हैं। हिचकिचाते हुए उन्होंने शास्त्री जी से पूछा कि क्या उन्हें वह ओवरकोट पसंद नहीं आया। शास्त्रीजी ने जवाब दिया,' वह कोट मेरे लिए काफी आरामदेह रहेगा लेकिन अभी मैंने उसे अपने उस कर्मचारी को दे दिया है जो इस कंपकंपाती ठंड में पहनने के लिए ऊनी कोट नहीं लाया है। ठंडे देशों की अपनी यात्राओं के दौरान मैं आपकी भेंट का इस्तेमाल जरूर करूंगा।'
बताया जाता है कि इसके बाद कोसीजिन ने शास्त्री जी के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था, ' हम कम्युनिस्ट हैं पर प्रधानमंत्री शास्त्री जी सुपर कम्युनिस्ट हैं।' खैर, मैं नहीं जानती कि आप ऐसी बातों को कितना महत्त्वपूर्ण मानते हैं लेकिन भारत में त्याग को हमेशा ही सम्मान दिया जाता रहा है। " मलयवती की बात सुनकर नेता जी बोले, " इस बात से कोई भी कैसे इंकार कर सकता है ? " नेता जी का सवालनुमा जवाब सुनते ही मलयवती अंतर्ध्यान हो गई और नेता जी अठाईसवीं परी की प्रतीक्षा करने लगे।

- सुभाष चंद्र लखेड़ा


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