गज़ल
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जै दिन बटै म्यारु गांव
जै दिन बटै म्यारु गांव शैर ह्वाई ।
गौं मा भै-भयात दगड़ बैर ह्वाई ।।
हमरु त चौकु-चुल्लु संजैति छाई ।
आज थोक ख्वाळा भि गैर ह्वाई ।।
जख छम्वटौं ल छक्वै पाणि प्याई ।
अब नवळि पंदेरि गौं का भैर ह्वाई ।।
बरखा-बणदर्यूं दगड़ लड़दा-लड़दा ।
बांजि कूड़ि-पुंगड़ियूं भारी डैर ह्वाई ।।
सिस्त-सिसाद नि लगै साकी हमल ।
जिंदगि भि चांदमारी की फैर ह्वाई ।।
बिरणि सिकासैरि नि करदा 'पयाश'।
तेरा गीत मुंडरु अर गज़ल जैर ह्वाई ।।
© पयाश पोखड़ा
उत्तराखंड की लगूली
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