फैशन में मरे जा रहे हैं
सब के सब तो फैशन में मरे जा रहे हैं |
दोष सिर एक दूसरे के मढ़े जा रहे हैं ||
साड़ी सिंदूर सूट सुहाग चिह्न नदारद |
पाश्चात्य संस्कृति में लिपटे जा रहे हैं ||
चूड़ी बिंदिया बिछुआ पैजनियां छूटी |
धागा काला पांवों में लपेटे जा रहे हैं ||
तिलक जनेऊ धोती कुर्ता चुटिया गुम|
ब्याह बरातों में बरमुडे पहने जा रहे हैं||
खान पान बाज़ारू चूल्हा चौका सूना |
पिज्जा बर्गर मोमोज पेट भरे जा रहे हैं ||
संस्कृति सभ्यता संस्कार सब समाप्त |
टाटा बाय बाय हाय हैलो कहे जा रहे हैं ||
प्रथा परम्परा नाते रिश्ते सब हुए हवा |
मॉम-डैड सिस मिस ब्रो कहे जा रहे हैं ||
श्रद्धा भक्ति दया दान धर्म कर्म दिखावा |
हाथों में लड्डू गोपाल ले फिरे जा रहे हैं ||
सर्वोच्च रहे तिरंगा अपना मर मिटे बलिदानी |
उसी तिरंगे ऊपर धर्म ध्वज लगाये जा रहे हैं ||
धर्म सनातनी गौरव भारत का लुप्त हुआ है|
हम त्याग रहे संस्कृति गोरे अपनाये जा रहे हैं||
स्वरचित
सुरेश कुकरेती
मेरठ ( उत्तर प्रदेश)
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