ब्य्खोंण अब जाणि ...बालकृष्णा डी. ध्यानी

 

ब्य्खोंण अब जाणि  


ब्य्खोंण अब जाणि 

जून कि रात  आणि 

मेर प्रित  म्याली ... 

देक  तेर  खुद आणि 

जन तेर खुद आणि 

तू बि ऐजादि...  तू बि ऐजादि 

ब्य्खोंण अब जाणि 

जून कि रात  आणि ... 


पैरी तेर पैजण 

घैल हुंयूं च  .... ऐ  मन 

ग्लोडि तेरा  गुलाब 

माया कु उमड्युं सैलाब

ना कैर देर  चट व्है जला अब सबेर ..  झट 

तू ऐजादि...  तू ऐजादि 

ब्य्खोंण अब जाणि 

जून कि रात  आणि ... 


तेर क़ानूडी कि बाली 

वै परी गढ़वाली पाड़ी सारी 

वा तेर नाका कि नतुलि 

तू  कब बणेली  मेर ब्यौली 

ना  बणा अब  मि बौल्या

बाणि कि बैथ्यू छू  मि ब्यौला  ..  झट 

तू ऐजादि...  तू ऐजादि 

ब्य्खोंण अब जाणि 

जून कि रात  आणि ... 


बालकृष्णा डी. ध्यानी


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