मेरी कविता ....
स्वरचित कविता...
शीर्षक ....
तुलसी मां ....
मैं एक मात्र पौधा नहीं ,
मैं जान हूं घर घर की ,,
पूजी जाती हूं घर घर मैं ,
हर घर की प्राण प्रिय हूं ,,
रंग मेरे है अलग अलग ,
और नाम भी है अनेकों अनेक ,,
और शाम सुबह को आंगन मेरा ,
रौशन हो जाता दीपक दान से ,,
फटकने न दूं कोई बीमारी ना ,
कोई हीन दीन दुखी बिरहा ,,
किसी के लिए हूं मैं औषधि ,
किसी के लिए मैं सिर्फ पौधा ,,
उन्हीं के लिए हूं सिर्फ मैं ,
जो मेरी महिमा को जाने ,,
हिन्दू , मुस्लिम , सिख, ईसाई ,
हर घर के आंगन में लहराऊं मैं,,
सदियों से मैं उगती आई ,
हर घर के आंगन आंगन ,,
मेरा भोजन सिर्फ है पानी ,
जो दे उस घर लहराऊँ झूम झूम के,,
बाती से मैं खिल खिल जाऊं,
लहर लहर मैं खूब इठलाऊं ,,
मंद मंद मुस्काऊं और शरमाऊं मैं ,
लाल चुनरी पहन के खिल जाऊं मैं ,,
घर घर होती शादी मेरी ,
एकादशी है मुझको प्यारी ,,
वेदों में मैं बांची जाऊं ,
कथा पुराणों में भी बांचे ,,
घर घर आंगन खूब लहराऊँ ,
हर पल झूमूं हर पल नाचूं ,,
राम की प्यारी , श्याम की प्यारी ,
कृष्ण की भी मैं प्यारी हूं ,
हर हिंदू की प्यारी मैं ,,
ऐसे ही आदि से अनादि तक ,
मेरी महिमा ,मेरी पूजा चलती रहे
बस चलती रहे ......!!!!!
स्वरचित कविता...
सुमन डोभाल काला
शोशल एक्टिविस्ट फ्रीलांसर एक्टर लेखिका सिंगर आदि....
देहरादून उत्तराखंड...
उत्तराखंड की लगूली
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