रिश्तों की डोर
आज टूट रही रिश्तों की डोर
कुछ अहम के कारण
कुछ वहम के कारण।
आज टूट रही रिश्तो की डोर
कुछ मनभेद के कारण
कुछ मतभेद के कारण।
आज टूट रही रिश्तों की डोर
कुछ परिपक्वता की कमी केकारण
कुछ विश्वास की कमी के कारण ।
आज टूट रही रिश्तों की डोर
कुछ संवादहीनता के कारण
कुछ भावशून्यता के कारण।
आज टूट रही रिश्तों की डोर
बदलते जीवन-मूल्यों के कारण
बदलते परिवेश के कारण ।
आज टूट रही रिश्तों की डोर
बढते असंतोष के कारण
बढ़ते तनाव के कारण।
आज टूट रही रिश्तों की डोर
अपनेपन की कमी के कारण
समय की कमी के कारण।
आज टूट रही रिश्तों की डोर
कुछ मोबाइल के कारण
कुछ स्वयं में सिमटने के कारण।
मौलिक रचना
@बिमला रावत
ऋषिकेश (उत्तराखण्ड)
उत्तराखंड की लगूली
हिन्दी । गढ़वाली । कुमाउँनी । गजल । अन्य । कवि । कवयित्री । लेख ।
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