गज़ल
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सीधी सैणी जिंदगी मा
सीधी सैणी जिंदगी मा,न क्वी घूम न मोड़ आई ।
तुम हिटौ जौं रस्तौं मा, हमन वो बाटो छोड़ द्याई ।।
मायादार दिन रुसैकि झणि कौं मुलक भाजिगीं ।
नि छौंप्याई वो बगत जो दौड़ ग्याई त दौड़ ग्याई ।।
बसगळ्या आंखि भिजणि रैं सौण-भादौ बणिकै ।
खुदेड़ जिकुड़ि हमन त दुया हाथुन निचोड़ द्याई ।।
हैंसदि आंख्यूं मा आंसु खुणै जरासि जगा राखि ।
बुरा दिनौ क्य भर्वसु, कब आंसु कूल तोड़ ग्याई ।।
दगड़्या छौ कि दुसमन समझि नि साका तुमथैं ।
मयल्दु माया तुमरि हथ ध्वैकि पिछनै पोड़ ग्याई ।।
आणा छन आणि द्यावा, जाणा ता जाणि द्यावा ।
भटुळि पराज खुद लगाणु अब हमन छोड़ द्याई।।
©® पयाश पोखड़ा
उत्तराखंड की लगूली
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