जीवन के सात सुर.....हरि लखेड़ा****Hindi i article written by Hari Lakheda,


जीवन के सात सुर.....
हरि लखेड़ा

सा- मैंने खुद के लिए एक विडंबना हूँ, कई बार अपने आप को ग़लत साबित कर चुका हूँ ।
रे-मुझे पता है कि सच क्या है पर बोलने की हिम्मत नहीं है ।
ग-मेरे आत्मविश्वास को कम करने की शक्ति किसी में नहीं है, उसके लिए मैं काफ़ी हूँ ।
म-मुझे तनाव मेरे आंतरिक विचारों के कारण होता है किन्ही बाहरी कारणों से नहीं।
प-अगर मैं मान लूँ कि दूसरे लोग अच्छे हैं तो किसी से शिकायत नहीं रहेगी।
धा-भड़काऊ हालात होने पर शांत रहना नंबर एक जीवन कौशल है पर यह समझने में सारी उम्र निकल जाती है।
नी-किसी से कुछ भी उम्मीद नहीं रखने से मेरी ज़िंदगी महक सकती है पर मानूँ तब तो!

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