आपणु पहाड़ (गढ़वाली कविता) Apnu Pahad (Garhwali poem) Poet Vipin Panwar 'Mark'

 


आपणु पहाड़ (गढ़वाली कविता) 

 अपनु पर्वत

अपणु घर

मेरी माँ से प्यार करो

बहू को सरिया

बहन- दुलार भूली

युवावस्था के लिए उलियार

भ्रामक गिटार

रौन्तयाली-दाण्डी-कण्ठिया

वह उच्च कोटि का किनारा

वाखि मिल्दु हरु-भारु

ओक और देवदार

यानु च

अपनु पर्वत

अपणु घर

माँ से प्यार

वी चाउ

मेरा पहाड़


रचना-

©® विपिन पंवार 'निशान

आभार  

©® श्री भीष्म कुकरेती  जी 

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