मै त अपणु पहाड़ ही रिझान्दु..... Gharwali Poetry By Anjali Thapliyal utterakhand


 मै त अपणु पहाड़ ही रिझान्दु

ना मै तुम्हरा ढंग लगदा स्वाणा
ना मै तुम्हारी घिटर पिटर औंदी बिंगण मा
मै नौनी गड़वाल की |2|
मै त अपणी नथूली भली लगदी नकुडी मा
अर मैं त अपणु पहाड़ ही रिझान्दु |2|
हमरा डाँडा काठियों को लेहराणु
गंगा जनी पाणी कु छलकेणु
काफल हिसर जनी फलों कु पकुणु ,मैं नि छुडणु...
धूल ही धूल से भुरियु तुम्हरु देश मै नि भान्दु......
मै त अपणु कुमऊँ गढ़वाल ही रिझान्दू .... | 2 |
हमर स्वर्ग जन दिवभूमि मैं त नि छुडणी
मै नौनी गढ़वाल की, |2|
मै त अपणी नथूली भली लगदी नकुडी मा
अर मैं त अपणु पहाड़ ही रिझान्दु | 2 |
- डी. अंजलि
©® अंजलि थपलियाल
उत्तराखंड की लगूली
UK Laguli

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