हिमालै कु लिमाणा Gharwali Ghazal writer Payash Pokhada

 


गज़ल

हिमालै कु लिमाणा


हथ-खुट्टा समोदर मा समाणा छन |
अर टुक्कू हिमालै कु लिमाणा छन ||

जबरि बटैकि वो गलादार क्य ह्वैन |
बल द्विया हथुल खूब कमाणा छन ||

माछा मारिकै मछेर अफार भाजिगीं |
ब्वाडाजि अब फट्यळु लगाणा छन ||

सीं जून का सौंजड़्यां तुमी ह्वे ल्यौ |
गैणा त हमथैं दगड़्या बताणा छन ||

अपणा-अपणा बांठा की सांस छन |
जिंदगि थैं बिरणा हाथ थमाणा छन ||

हमत पुंगड़्यूं मा मळ्सु न्यळ्दा रवां |
लोग हथग्वळ्यूं मा जौ जमाणा छन ||

कंदूड़ खड़ा ह्वैगीं धै सुणिक "पयाश" |
वो गुठ्यारा का गोर सि रमाणा छन ||

©®पयाश पोखड़ा

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