पलायन गज़ल Gharwali Ghazal writer Payash Pokhada

 


पलायन गज़ल


खुट्यूं थैं देळि का भैर नि धरदा |
हम जखि छाया वखि त म्वरदा ||

उ त कंदूड़ बयाणा रैं सुदि-सुदि |
स्वीणा हूंदा त आंख्यूं घच्वरदा ||

सचि जि हूंदी गौंमा द्यप्तौं की केर |
हम पलायन कु दण्ड किळै भ्वरदा ||

रस्तौं ढुंगा-गारा-माटा-कांडा छाया |
हम नि स्वरदा त क्वी हौरि स्वरदा ||

टाटा बैबै कैरिक ऐथर भाजिगीं वो |
रस्ता लगौं तुमथैं ख्वजदा ख्वजदा ||

दगड़ि हिटदा त द्विया अछले जांदा |
त्वैसे नि छौंप्याई सूरज रुमुक च्वरदा ||

कैकु भेद न मूंजू पै साक तिल "पयाश" |
छ्याळा छन लोग छुवीं क्वरदा क्वरदा ||

©® पयाश पोखड़ा

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