पौ-बारा ह्वेगीं,Gharwali Ghazal writer Payash Pokhada


पौ-बारा ह्वेगीं


हलकर्या निंद सुपिन्या आवारा ह्वेगीं ।

शरब्या आंख्यूं दगड़म पौ-बारा ह्वेगीं ।।


नै जमना की हवा फफ्राणी मुलकम ।

दाना सयणा सब छोरि-छ्वारा ह्वेगीं ।।


जुन्याळि राति अर यखुलि यकुलास ।

म्यारा सौंजड़्या भि सरग तारा ह्वेगीं ।।


दरद न पिड़ा जिकुड़िम खुद ना याद ।

पर आंख्यूंम आंसु ल्वै का धारा ह्वेगीं ।।


माया की स्याणि गाणि दुख दे जदिन ।

झणि कतगा सुपिना माटा गारा ह्वेगीं ।।


आंख्यूंम बटै एक आंसू भैर क्य आई ।

धारा मंगरा सब खारा का खारा ह्वेगीं ।।


बौळ्या सि खौळ्यां छन कैका प्यारम ।

वो दुन्या मा जयां बित्या बिचारा ह्वेगीं ।।


जिकुड़ि निखोलिक कल्यजि चीरी दे ।

'पयाश' पियार का बीज दुबारा ह्वेगीं ।।


©® पयाश पोखड़ा 

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