वो पुरणी गुस्यैणी
हे मेरी वो पुरणी गुस्यैणी
कभी छै तू ,मी, बैंणी बैंणी
अब त जंगलों बांधि आणा छीं
दूध खाकि ये द्वि चार पैंणी
घी दूध त्यारू सब थै चहेणू
पर कैथे भी तू नी चहैणी
त्यार पूंछ मा पित्र तरैणा
हूणी त्वै मा ही नारैणी
अब त डालों बांधि आणा छीं
दूध खाकि ये द्वि चार पैणी
त्यार मूत मा शुद्ध हूंदी सब
मोल मा भितर गणेश लिप्यूं चा
त्वै मा सब देवों कू वास चा
ब्रह्मा विष्णु महेश छिप्यूं चा
धर्म की तू ब्वै छै सब्यों की
पार लगौंदि छै बैतरैणी
अब त भ्यालों बांधि आणा छीं
दूध खाकि ये द्वि चार पैणी
ग्रंथ शास्त्रों मा पूज्य छै तू
कृष्ण भी त्वी छै तू ही राम
तिन्नी लोक मा तेरी चर्चा
तू ही मथुरा काशी धाम
तू छै गंगा, गोवर्धन भी तू
तू ही संगम त्रिवेणी
जंगलों भ्यालूं बांधि आणा छीं
दूध खाकि ये द्वि चार पैणी
वाह रे मनखी त्यारा पाप
जुल्मों कुछ नी त्यारू हिसाब
आपदा विपदा बाघ बीमरी
सब कुछ मिलणू त्वैकू ज़बाब
याद गऊ थै अब भी करणा छीं
पर उंद जांण की खैंचा तैणी
अब त जंगलों बांधि आणा छीं
दूध खाकि ये द्वि चार पैंणी
भ्याल धोयी की डाल बांधि की
अफू थै चिताणू छै महान
गौडी नि राली छौडि जो जालि
कुकर कू पूंछ मा जाला प्राण
अभी भी चिताऔ होश मा आऔ
सजा भी मिलली गैणी गैणी
जंगलों भ्यालों बांधि आणा छीं
दूध खाकि ये द्वि चार पैणी
हे मेरी वो पुरणी गुस्यैणी
कभी छै तू, मी, बैंणी बैणी
मी डोबरियाल "असीमित"
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