बाघ सुंघर झाड-झाड मा
कनु कै रैण अब वे पहाड़ मा
हाथी स्यो ऊब डांड जयूं चा
बांदर कूडा कू धाड मा
कभी हाल मा हल्या रैंद छै
स्कूल जांदू स्कूल्या रैंद छै
बाटु हिटुद बटुया रैंद छै
अर दूर धार मा कलिया रैंद छै
गजुदू बजुदू हुयूं रैंद छै
इनै उनै धै लगाण मा
बाघ सुंघर झाड-झाड मा
कनु कै रैण अब वे पहाड़ मा
डांडी कांठ्यूं कि सैर हूंद छै
धरड-धरड गुहेर हूंद छै
नवला पंध्यरूं पंधैर हूंद छै
रौला पाखो घसैर हूंद छै
बडी रंगत अयीं रैंद छै
मयला रंगिला गीत गाण मा
बाघ सुंघर झाड-झाड मा
कनु कै रैण अब वे पहाड़ मा
तैल्या मैल्या सार हूंद छै
ग्यूं धन्नू की बहार हूंद छै
काम काज सब्य मस्त रैंद छै
चंखुलोंं की डार की डार रैंद छै
खूब हल्ला हो हाय अर
टन टन कंटर बजाण मा
बाघ सुंघर झाड-झाड मा
कनु कै रैण अब वे पहाड़ मा
मी डोबरियाल "असीमित"
©® सुदामा डोबरियाल
उत्तराखंड की लगूली
UK Laguli
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