बरखा सौंण भादों की
*****************
सौंण भादों मा बर्खा झमाझम
लदव्डी उगै गे होइगे टम।
सैक भी याल खूब तपे भी याल
फिर भी नी हूणी कम।।
साथ नी दीणू आजकल मौसम
कखि ठंड घुसिगे कखि गरम।
उंद अर ऊब,भैर अर भितर
बिजली भी चमकद चम-चम चम
सरग भी कड़कड़ पेट भी गड़गड़
छैंच कखि रखीं हुस्कि या रम।।
सौंण भादों मा बर्खा झमाझम
लदव्डी उगै गे होइगे टम।
रोला बौला गदनों कू सुस्याट
दणमण दणमण बरखा कू झुमराट
उठिक बैठिक होइ औच्याट
अर उनि काम कू भी रकरयाट
कुहेडी कू धुआं अंध्यरी रात मा
बाघ भी घुरणू रैंद घमाघम।।
सौंण भादों मा बर्खा झमाझम
लदव्डी उगै गे होइगे टम।
दर-दर दर दरकणा पहाड़
कखि उजड़ बिजड कखि ऐगे बाड
बाटा घाटा होइगे झिपलाण
चिपुल भी होइ अर घसम राड
टंगडा टुटी गे आंखा निकली गे
अब नी रै ये शरीर मा दम।।
सौंण भादों मा बर्खा झमाझम
लदव्डी उगै गे होइगे टम।
मी डोबरियाल "असीमित"
©® सुदामा डोबरियाल
उत्तराखंड की लगूली
UK Laguli
0 टिप्पणियाँ