गज़ल माया को दरद Ghrwali Ghazal ...Maya's pain...Ghazal writer Payash Pokhada


गज़ल
माया को दरद

माया को दरद सैणा को ढ़ब ह्वेगे ।
अब तुमर बगैर रैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

माया की आगम जळदा-जळदा ।
मुछ्यळु सि फुकैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

सुप्पौ मा भ्वरीं मेरि माया थैं अब ।
पछौ हवा मा बतैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

अब मेरा टुटदा माया का चर्यो थैं ।
भुयां माटा म खतैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

दथुड़ि की धार मा धैरयाल माया ।
जिकुड़ियूं थैं लछैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

माया को जुआ ख्यळदा-ख्यळदा ।
बज्जि हरैणा जितैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

जिदेरि माया की जिद का खातिर ।
तुमरि समणि निसैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

'पयाश'थैं अजमांदा-अजमांदा अब ।
दुसमनु दगडम़ ढ़बैणा को ढ़ब ह्वेगे ।।

©® पयाश पोखड़ा 

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