गुरू जी*****
अंधेरा मा द्यू सी दिखे
अबाटा गयूं त बाटू बतै
उकाळि कु बाटु
सौंगु करी,
कभी गुस्सा मा भी
द्वि बोल बोलिन
हमतै सदानी सफलता कू
बाटू दिखे ।
किताब्यूं का गैल दगडू करे
गुरू जी का चरणो मा
मैन जन्नत पै।
स्कूल का ब्लैक बोल्ड मा
चमकदा आखर दिखे
अपणा गुरू जी मा मैन त
भगवान पै ।
अन्धेरा मा दियू सी दिखै
अबाट गै त बाटू दिखै
गुरू जी का चरणो मा मेन त
जन्नत पै।
©® कविता कैन्तुरा पुन्डीर
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