मिं चंद्रयान छों .... I am Chandrayaan Poetry wrote By Naveen Joshi

 


मिं चंद्रयान छों

मिं चंद्रयान छों
जू आसमान पर जाणु‌ छों
अर‌ अफुमा 39 कीलु कु‌ घिल्डु रख्यु छ
अर अफुमा फ़ुर्र उडी झंडा फहराणु चाह छों
चंद्रमा पर जाण कि सोची थैं।
अर अपणी चाल मां ही पुरी करी सकी छैं‌।
नासा विचारु भी टक्क लगे दिखणु थैं
व में भीं‌ वे मुल्क मां ध्वजारोहण कि तडी‌ मारनू‌ थैं।
जु विचारा बोर्डेर पर भारत मा कि रक्षा कर्ना
अर तिरंगा झंडा उठें दिन रात धरा कि रक्षा करी खपणा थैं
उंका आशीर्वाद ली तैं मि भी अपणा मुल्क चलीगी तैं
अर तुमारा सामणी झंण्डा आज फहराई छैं
धूल तृण करनु विनम्र हाथ जोडी निवेदन
अर चंदन सीं‌ सुगंधित भुमि भारत कु करा अभिनन्दन
नयु भारत नयी सोच मां ह्वै‌ करु सब सजृन
हर जन जन करु भारत सुबह-शाम अभिनंदन

नवीन जोशी... धूलतृण

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