शीर्षक हिमालै बचा भैं.... Poetry wrote By Naveen Joshi


शीर्षक हिमालै बचा भैं


हिमालैं की रोंण वाऴा
हिमालैं कि सुणी जा
बर्फीली हवा चलण लेगी
अपणु जलवा दिखैं जा

जख शिव जी भी करदा ध्यान
वख ध्यान तु भी करी जा
लाटी काली माया मा‌ अपणु ध्यान
तु भी यें हिमालैं मा करी जा

मन चंचल न कर भैं
एक जुट रोण कि ठान‌ भैं
धूल-तृण की प्रार्थना मानी भैं
हिमालें बचोण कि आज सोच भैं

प्लास्टिक कचरा गाढ़ गधेरा न फैकण भैं
साफ सफे रखण की पहल करन‌ भैं
हिमालै कि भुख तिस मिटोण वास्ता भैं
डोखरी पोगणी मा फलदार डाऴा लगा भैं

©नवीन जोशी
उत्तरखंड की लगूलि
UKLaguli

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