गज़ल******
जुनख्यळा सरग ताळ
जुनख्यळा सरग ताळ बौंहड़ सिये जा कभि |
वीं पुरणमस्या जून दगड़ च्या पिये जा कभि ||
उजड़्यां अधिमिरा रस्ता-बाटों हिटदा-हिटदा |
जो बात कै नि साका,वी बोलि दिये जा कभि ||
खाळा-म्याळा कौथिग झणि कख हर्चि गैनि |
एकदां चर्यो-चूड़ि, बिंदि, फूंदा लिये जा कभि ||
सर्या उमर दुन्यां थैं सुदि-सुदि बिटमणा रवां |
सुदि-सुदि एक गाळि अफु भि दिये जा कभि ||
आ, कभि घनै बौड़ त सै निख्वर्या निरभगि |
तेरा भागल बैलि गौड़ि क्य पता बिये जा कभि ||
इकध्यड़्या जिंदगि थैं अधरंग लकवा मारि ग्या |
बुढेण दां द्वि बूंद पोलियो की पिये जा कभि ||
अपणि बिंवयूं फर सदनि त्यल बतुला धरीं तिन |
'पयाश' बिरणि पीड़ खुणै भि जिये जा कभि ||
©® पयाश पोखड़ा
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