पलायन करनू भी जरुरी भैजी
पैंछु पडयाली कु जमानु गैं भैजीं
ज्वानी कि भुख बढ़दी जाणी भैजी
झगोंरु कोद्धो खाणु पसन्द नि भैजी
जख हमुणी गैल्यो तैं गुड मोर्निग अर हेलो हाय टाटा करदा थैं
वख हम ये गढ़वाल मा हथ जोडी सैमान्या खुटु बिटी सेवा लगाणी पडनीं छैं
हेलों हाय का जमाना मां
प्रणाम सैमान्या कु जमानु गैं भैजीं
बस अब पलायन कि जरुरत बहुत जरुरी भैजी
न काकर न धुरपली बस हवादार छत भैजी
न खलियाण मां लेट्रिंग बाथरुम बस किचन गैल लैट्रिग बाथरुम अटेंच चेदु भैजी
न ढोल नगाड़ों मां देवतो का अवतरण गीत बस लैपटाप गैल चैंद
बस पलायन करनु जरुरी भैजी
न थोला मैला मा मन की चीज सर
छंद पैसां यदि चीज मिली त चाचा बड़ों की डर
मन तैं कब तक बेवजह ढगणी सर
बस अब पलायन करनु जरूरी सर
भाई बंधु भी प्रदेश मा पैली बिटी छन
न भला स्कुल अर न भला अस्पताल यख छन
न दुध मठ्ठा कि डेरी अर न फल फुलु कि दुकान छन
बस अब पलायन करनु जरुरी भैजी
प्रदेश मां त मजा ही मजा छन
जैयमा टैलेंट वैतैं रोजगार ही रोजगार छन
चाही महंगन पर भला अस्पताल स्कुल छिंदीं छन
यें वास्ता पलायन करनु जरूरी छन
चाही महंगी पर मुसकतरी अर भली लता कपडी मिल जांदी
अपणु टैलेंट जें विचारा मा बोत्गा तनख्वाह मिल जांदी
चाहीं विराणा मुल्क डियुटी बुरी भैजी
पर अपणा वास्ता पलायन करनु जरुरी भैजी
टाई कोट पैंट मिल जांदी भैजी
चाहीं होटल भीतर बांढां मठोणु भैजी
पर आदां जांधा बग्त टाई भली लग जादीं भैजी
ऐं बाना बोलणु पलायन करनु जरुरी भैजी
जु भला नया जमाना दग्डिया छन
उ अपणा संस्कार मा अडिंग वख भी छन
नशा वेविचार सी वख भी दुर छन
पर अब हमुतें पलायन करनु जरुरी भैजी
ब्याली मग्तु भैजी बाना घर आई भैजी
सुणी उ जुझारु नेता बणण चाणु भैजी
भाई बयात बाना प्रचार मां धुल भी कुदगी भैजी
खेली हारी धुल भी बोलणु पलायन जरुरी भैजी
रात भर उडिदुं वेंकी ऐसी गाड़ी पर आई भैजी
कखीमा हुस्की अर कखि मां रम्म रात भर धूल भी पीगैं भैजी
जन्नी अपणा मुल्क आई कच्ची पक्की धुल भी चखगी भैजी
ऐना माहोल मां पलायन भी जरूर भैजी
दिन भर काम करना मेरा चाचा बढ़ा भैजी
गोधुलि बग्त हर दिन थकान उतारना फ्री कि गुटकीन भैजी
मजबुरी मां भलु कल्यु बणेक उकी जग्वाल कर्नी मा बैणी हमारी भैजी
दुख कि बात या छ कि जैका बाना जग्वाल करी भेजीं।
वेका बाना भुखा पेट मार खलैं सिवाऴगीं भैजी
© नवीन जोशी
गौं कोट. देव मुल्क,गढ़वाळि कविता /गीत
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