गज़ल
******
बस भटुळि
कैका बाना भ्वरेंदिन आंखि, बस भटुळि समझदिं |
खुदेड़ जिकुड़ि कैन द्याखि, बस भटुळि समझदिं ||
अब कख करदिं याद तुमथैं वो ब्यखुनि-फज़ल |
हथगुळ्यूं रयूं पराज बाकी, बस भटुळि समझदिं ||
कुएड़ि लौकेंद अर क्यूंकळि लगदिन जिकुड़ि मा |
कुतगळि सि लगीं रैं काखी, बस भटुळि समझदिं ||
खुदेड़ टोळ बौळ थैं मन मा कीटि-काटि ना कभि |
स्वीणौंम आंणु-जांणु राखी, बस भटुळि समझदिं ||
बस एक भटुळि भ्यटेंणा की जग्वळ्या च जिंदगि |
मौत थैं सौ-समाळि राखी, बस भटुळि समझदिं ||
जिंदगि की खत्ता फोळ मा क्य हर्च तेरो 'पयाश' |
खोज-खबर हूणी ज्यांकि, बस भटुळि समझदिं ||
©®पयाश पोखड़ा
#indian #worlpoetry #dhyanipoems #kumaoni #Poetry #india #poems #UKLaguli #video #utter #gharwalipoems #पयाश_पोखड़ा #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand
******
बस भटुळि
कैका बाना भ्वरेंदिन आंखि, बस भटुळि समझदिं |
खुदेड़ जिकुड़ि कैन द्याखि, बस भटुळि समझदिं ||
अब कख करदिं याद तुमथैं वो ब्यखुनि-फज़ल |
हथगुळ्यूं रयूं पराज बाकी, बस भटुळि समझदिं ||
कुएड़ि लौकेंद अर क्यूंकळि लगदिन जिकुड़ि मा |
कुतगळि सि लगीं रैं काखी, बस भटुळि समझदिं ||
खुदेड़ टोळ बौळ थैं मन मा कीटि-काटि ना कभि |
स्वीणौंम आंणु-जांणु राखी, बस भटुळि समझदिं ||
बस एक भटुळि भ्यटेंणा की जग्वळ्या च जिंदगि |
मौत थैं सौ-समाळि राखी, बस भटुळि समझदिं ||
जिंदगि की खत्ता फोळ मा क्य हर्च तेरो 'पयाश' |
खोज-खबर हूणी ज्यांकि, बस भटुळि समझदिं ||
©®पयाश पोखड़ा
#indian #worlpoetry #dhyanipoems #kumaoni #Poetry #india #poems #UKLaguli #video #utter #gharwalipoems #पयाश_पोखड़ा #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand
See less
— in India.
0 टिप्पणियाँ