डेगु‌ बुखार सी बचा‌ भैं/Gharwali Poetry By Naveen Joshi

 


उत्तराखंड की लगूली

डेगु‌ बुखार सी बचा‌ भैं

हाथु खुटा पीडा होणीं अगर भैं।
लापरवाही कत्ते नि करनी भैं
किककी बसग्याल कु मच्छर डबखणु भै
अर यु डेगु मलेरीया बुखार फेलोणु भैं
निवेदन भला डाक्टर बैध दिखा भैं

गों घरु मां अभियान चलावा दें।
नालीयो कु पाणि कच्छील रुकण न ध्या दें।
श्रमदान करी गों घरु मां गंदी झाडी हटावा‌ भैं
डेगु मच्छर तैं घर गौं मां ओण न ध्या दें
प्रार्थना समाज हित कि पैल करा भैं

अगर‌ इच्छी‌ भी‌ पढ्या लिख्या भै बंधु तुम‌ त अभियान चलावा दें।
बसग्याल मच्छर तें‌ घर‌ मोर द्वार ओणु न ध्या दें।
यु मच्छर बडु खराब भुल मार अर‌ डेगु ‌सी बिमार‌ करनी भैं
बस द्वि घड़ी कि जिंदगी भै थौडा आप‌ भी‌ साफ सफें रखा धैं

जीरा हल्दी दुध जरूरु पिया भें
बिन डाकटर दिखाया भौंकनी ‌दवे ने खावा भैं
बस अबरी घडी या लहर भारी दुख कि छ
बस दुख मां भी साथ दैण कि‌ ज़रूर कोशिश करा भैं।

© नवीन जोशी
गौं कोट. देव मुल्क,
गढ़वाळि कविता /गीत
धूलतृण
उत्तराखंड की लगूली
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