हम सब/Hindi Poetry By Balkrishna D.Dhyani

 


उत्तराखंड की लगूली

हम सब

सब लगाते हैं फेरे
वो फेरे हैं कितने गहरे
सात से साथ जुड़ा है
ये अजूबा है या फिर क्या है ?

सुख दुःख संग लगे हैं
एक दूजे के अंग लगे हैं
बातों बातों में बातें उनकी
यूँ ही चुपके मुलाकातें उनसे

एक जोर है कहीं शोर है
शांत गुमसुम कोई ओर है
पड़ाव वो पहाड़ों का
खिंचाव समंदर कि ओर है

सब लगाते हैं फेरे ....

© बालकृष्ण ध्यानी

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