हम सब
सब लगाते हैं फेरे
वो फेरे हैं कितने गहरे
सात से साथ जुड़ा है
ये अजूबा है या फिर क्या है ?
सुख दुःख संग लगे हैं
एक दूजे के अंग लगे हैं
बातों बातों में बातें उनकी
यूँ ही चुपके मुलाकातें उनसे
एक जोर है कहीं शोर है
शांत गुमसुम कोई ओर है
पड़ाव वो पहाड़ों का
खिंचाव समंदर कि ओर है
सब लगाते हैं फेरे ....
© बालकृष्ण ध्यानी
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सब लगाते हैं फेरे
वो फेरे हैं कितने गहरे
सात से साथ जुड़ा है
ये अजूबा है या फिर क्या है ?
सुख दुःख संग लगे हैं
एक दूजे के अंग लगे हैं
बातों बातों में बातें उनकी
यूँ ही चुपके मुलाकातें उनसे
एक जोर है कहीं शोर है
शांत गुमसुम कोई ओर है
पड़ाव वो पहाड़ों का
खिंचाव समंदर कि ओर है
सब लगाते हैं फेरे ....
© बालकृष्ण ध्यानी
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— in India.
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