गज़ल
*****
छन छन
म्यारा भि कन-कना मैंगा मनखि दिख्यां छन ।
जो अपणि चाडि कौड़ि्यूं का भौ बिक्यां छन ।।
छोड क्य मोल-तोल करणै अब मनख्यात को ।
जब मनख्यूं फरै मनख्यूं का भौ लिख्यां छन ।।
ल्वीठो अर चिपचिपो माटु च म्यारा मुल्का को ।
तबि त जलमभूमि मा म्यारा खुट्टा टिक्यां छन ।।
रस्ता-बाटों का ढुंगा-गारौंं पैड़ि ल्हे कभि-कभि ।
कुछेक आखर म्यारा खुट्टौं का भी लिख्यां छन ।।
अब कख बटेंद गौं-गळ्या मा भि पैंणै पक्वड़ि ।
बल अब त लोग बिरणु बांठु खैकै छिक्यां छन ।।
दोस किलै दीणा तुम नै छ्वाळि का छ्वारों थैं ।
जन तुमन अड़ाई-पड़ाई वो उनि सिख्यां छन ।।
सौं करार भी कतगा सौंगा-सस्ता ह्वैगीं "पयाश"।
यख त अपणि नेथ-कुनेथ मा सबि डिग्यां छन ।।
© पयाश पोखड़ा
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छन छन
म्यारा भि कन-कना मैंगा मनखि दिख्यां छन ।
जो अपणि चाडि कौड़ि्यूं का भौ बिक्यां छन ।।
छोड क्य मोल-तोल करणै अब मनख्यात को ।
जब मनख्यूं फरै मनख्यूं का भौ लिख्यां छन ।।
ल्वीठो अर चिपचिपो माटु च म्यारा मुल्का को ।
तबि त जलमभूमि मा म्यारा खुट्टा टिक्यां छन ।।
रस्ता-बाटों का ढुंगा-गारौंं पैड़ि ल्हे कभि-कभि ।
कुछेक आखर म्यारा खुट्टौं का भी लिख्यां छन ।।
अब कख बटेंद गौं-गळ्या मा भि पैंणै पक्वड़ि ।
बल अब त लोग बिरणु बांठु खैकै छिक्यां छन ।।
दोस किलै दीणा तुम नै छ्वाळि का छ्वारों थैं ।
जन तुमन अड़ाई-पड़ाई वो उनि सिख्यां छन ।।
सौं करार भी कतगा सौंगा-सस्ता ह्वैगीं "पयाश"।
यख त अपणि नेथ-कुनेथ मा सबि डिग्यां छन ।।
© पयाश पोखड़ा
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