जय गोलू देबता*****Grhwali Poetry written by Balkrishna D. Dhyani

 


जय गोलू देबता

हमरी पीड़ा अफि मा जा तू समै
क्या पाई तिल यखमा रैकि यख रुपै
गोलू देबता लगे हमुन फिर ते थे धे
दौडी ऐजा हमते लिजा ते दगडी सरे

दुई हात जोड़ि कि हम छा बैथयां
अपडा से एकमत ह्वैकि हम छा बैथयां
तेरु ही धास तेर सार अब हमते लग्युं छा
चिट्ठी मा स्वाल लिखी सब्बि छा बैथयां

मनोकामना सबै कि पूरी व्है जाली
न्याय देबता जबै तू सबते न्याय देलि
घांट चिट्ठी मिल बि गेड़ी च मंदिर मा
तू मिते ना कै ते ना अब ना तू बिसरे

हमरु उत्तराखंड को चितई गोलू देवता
तेरू जय जयकरा रै हमरा मुखम सदै
हम सबु ते तू सत बुद्धि सत मार्ग बते
छोड़ि कि गयां सबु ते पाड़ों मा परते

हमरी पीड़ा अफि मा जा तू समै ....
जय गोलू देबता

© बालकृष्ण डी. ध्यानी

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