मूल निवास हमरो अधिकार*****Grhwali Poetry written by Dheeraj Gusain

 


मूल निवास हमरो अधिकार

ह्यूं , हिमालय यो हमारो
बुगदो गंगा जी को पाणी
डांडा डांड्यों कांठ्यों कांठी
अब मंगदा अधिकार अपणों

मेरी धरती मेरी भूमी
मेरो अपणों उत्तराखंड
मेरा अपणा लोग मंगदा
वो मूल अधिकार हमारो

युग युगों बटी सैंती पाली
जी धरा ला हम सभी तै
आज वाही माटी मंगदी
मूल निवास अपणों

कोच अपणों को परायो
अपणी भाषा अपणी बोली
अपणी संस्कृति बचाणों
आज मंगदा अधिकार अपणो

घुसपैठ कर संकर बनी गे
बेची खाई माटो पाणी
बेगार बेकार बनी गे
ईं धरा का मूल वासी

अपणा हक हकूब खातिर
आज फिर एकजुट ह्वावा
मांगा अपणों अधिकार यूं से
अपणों मूलनिवास मांगा

© धीरज गुसाईं

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