उत्तराखंड की लगूली is in India.
Published by बालकृष्ण डी. ध्यानी

पढ़ाणु रैन्द क्वी
ये मोती जना आख़र ललचाणु रैन्द जी,
लिख्वार बणिक भैजी पढ़ाणु रैन्द क्वी।
या अणबोल्या सन्तान जी कू जंजाल च।
हुयीं एक गैलि-पाणी पर भट्यांणु रैन्द क्वी,
लिख्वार बणिक भैजी पढ़ाणु रैन्द क्वी।।
सुपण्या बनिकि रात तुमर मना की बात,
मेरी नींद उचटि जांद आँख्यों म बरसात।
आंद एक गराक निन्द बुथ्याणु रैन्द क्वी।
लिख्वार बणिक भैजी पढ़ाणु रैन्द क्वी।।
लिख्वार बणुण छोड़िक मि गितार बन ग्यूं ,
मेरी उम्मीद तनी गैलि गी जन हिर गलद ह्यूं।
यख म्यारु मन थैं जखि-तखि झुलाणु रैन्द क्वी,
लिख्वार बणिक भैजी पढ़ाणु रैन्द क्वी।।
ये मोती जना आख़र ललचाणु रैन्द जी,
लिख्वार बणिक भैजी पढ़ाणु रैन्द क्वी।
लिख्वार-
©®- भूपेन्द्र डोंगरियाल
उत्तराखंड , भारत
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