देखा देखी बल ( व्यंग मात्र )Grhwali Poetry wrote by Sandeep Garhwali

 


देखा देखी बल ( व्यंग मात्र )
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म्यारु कुक्कर चंट ह्वै ग्याई l
दुन्या दिखां अब बाघ ह्वै ग्याई ॥
कबि कबि जब गौं आन्द घुमणूं ।
निर्भगि भुकण भी भूलि ग्याई ॥
तखुन्द जैकी वैना अपणूं
देखा च्वाळा बदलि द्याई ॥
गौंमा भुट्‌या नौ छाई वैकु ।
शहर मा शेर सिंह ह्वै ग्याई ॥
वैकी चमक दमक देखी
बाघ भी कन्फ्यूज ह्वैग्याई ॥
ऊ बि गौं जंगळ छोड़ी शहर मा ।
जाणै बिचार करण बैठी ग्याई ॥
शहरों का सडक्यूं मा यखुलि
हिटदा वैथै मिन द्याखी छाई ।
भैरवळो ऐथर पूंछ हिलाणूराई
अपणों थै देखी घुरणू राई ॥
म्यार कुक्कर अब चंट ह्वै ग्याई ॥
एक दिनौ कुक्कर बकै बाघ ह्वै ग्याई ॥
पलायन जब बटि कारि वैन ।
अपणी बोली तक भूलि ग्याई
हाँ भुकुदु छैच कबि क बि
साल मा द्वीचार दिन
बकै त हिन्दी अर अंग्रेजी मा
टाइगर ह्वै ग्याई ।
©®संदीप गढ़वाली

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